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#चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की पोल खोलती पत्रिका की खबर ।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यह खबर जरूर पढ़नी चाहिए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि राजस्थान में लागू मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना को देशभर में लागू किया जाए ताकि गरीब आदमी का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त में हो सके। सीएम गहलोत अपनी इस योजना को सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण मानते हैं। गहलोत का दावा है कि ऐसी योजनाओं से खुश प्रदेश की जनता कांग्रेस की सरकार रिपीट कराएगी, लेकिन 7 मई को पत्रिका ने योजना की पोल खोल दी है। योजना की खामियों को बताता है जिसके अंतर्गत निजी अस्पतालों में मरीज का इलाज नहीं हो रहा है। पत्रिका की खबर को ब्लॉक में ज्यों का त्यों रखा जा रहा है, ताकि योजना की हकीकत आम लोगों तक पहुंच सके, पत्रिका ने यह सराहनीय कार्य किया है। सीएम गहलोत को भी पत्रिका की खबर जरूर पढ़नी चाहिए ताकि जमीनी हकीकत की जानकारी हो सके। पत्रिका की खबर:किसी मरीज को गंभीर निमोनिया है, पेट-दिमाग में संक्रमण, हृदय, कैंसर या किडनी सहित अन्य गंभीर बीमारी है तो उसकी जिंदगी बचाने के लिए पहले ही दिन 15 से 20 हजार रुपए की दवाइयों की जरूरत होती है। लेकिन चिरंजीवी बीमा में प्रतिदिन इलाज के लिए मात्र 6 हजार रुपए की पैकेज राशि गंभीर मरीज के उपचार में बाधा बन रही है। हैरत की बात यह है कि यह पैकेज गंभीर और सामान्य सभी बीमारियों के मरीजों के लिए एक समान है। यानी बीमा भले ही 25 लाख रुपए सालाना हो, लेकिन रोजाना 6 हजार रुपए से ज्यादा नहीं मिलेंगे, भले ही मरीज कितना भी गंभीर बीमार क्यों न हो। इसमें दवाइयां, जांच सब खर्च अनिवार्य है। अब या तो डॉक्टर अपनी जेब से खर्च करे, इससे ज्यादा खर्च होने पर डॉक्टर पैसे नहीं ले सकता और परिजन चिरंजीवी में होने के कारण देना नहीं चाहते। राजस्थान पत्रिका ने अलग-अलग निजी डॉक्टरों से योजना में आ रही परेशानियों की चर्चा की तो बोले, सरकार तो सक्षम है सरकारी अस्पताल में सब कुछ भुगतने के लिए निजी अस्पताल कहां से भुगतेंगे।इलाज लंबा चलने पर निजी अस्पतालों की मना:अस्पतालों में चिरंजीवी या दूसरी सरकारी योजना का पैकेज समाप्त होने के बाद रोजाना दर्जनों मरीज हमारे यहां आते हैं। पैकेज के बाद निजी अस्पताल मना कर देते हैं, लेकिन इन्हें हमें रखना पड़ता है। चिरंजीवी के वही पैकेज यहां भी हैं, लेकिन यहां निरोगी राजस्थान का विकल्प खुला है। सरकारी में भीड़ देखकर मरीज निजी में जाता है, पांच सात दिन बाद बजट खत्म हो जाता है तो वापस आ जाता है। चिरंजीवी में बीमारियों के कोड फिक्स हैं। किसी बीमारी के 60 हजार रुपए तय कर दिए, लेकिन इलाज लंबा चल रहा है तो निजी अस्पताल मना कर देगा।181 या संपर्क पोर्टल पर दें जानकारीचिरंजीवी से जुड़े अधिकारियों का दावा है कि योजना के पैकेज सभी खर्च का आकलन कर तय किए गए हैं। ब्लड आदि आवश्यकताओं पर इससे अधिक भी दिए जाते हैं। चिरंजीवी योजना में निजी अस्पताल की पैकेज दरों में इलाज में कमी या परेशानी की शिकायत 181 नंबर या संपर्क पोर्टल पर भी दर्ज करवाई जा सकती है।इन मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी:गंभीर मरीजों का उपचार चिरंजीवी बीमा में करने में बड़ी परेशानी आ रही है। यह मरीजों के जीवन में बाधा खड़ी कर रहा है। इसका सर्वाधिक खामियाजा निमोनिया सेप्टिक शॉक एआरडीएस और आईएलडी जैसी बीमारियों के मरीजों को उठाना पड़ रहा है। सच यह है कि गंभीर बीमार मरीज की जान बचाने के लिए पहले ही दिन 15 से 20 हजार रुपए का खर्च हो जाता है। लेकिन कई बार 6 हजार रुपए के बाद इलाज करना ही बंद कर देते हैं। अब अतिरिक्त खर्च कितने मरीजों पर निजी अस्पताल भुगतेगा।सरकारी अस्पताल में जाने की सलाह:कार्डियक के एक मरीज का पैकेज में इलाज किया गया। लेकिन उसकी जटिलता बढ़ती गई। पैकेज के बाद निजी में इलाज नहीं किया गया। उसे सरकारी में ही जाने की सलाह दी गई। चिकित्सकों के अनुसार पैकेज में बाद की जटिलता के इलाज की व्यवस्था ही नहीं की गई। सिर्फ बाध्य किया गया है कि निजी को उसी पैकेज में ही इलाज करना है।
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