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Showing posts from April, 2023
आंतक का अंत माफिया से नेता बने अतीक अहमद की कहानी, चार दशक तक चले आतंक का 10 सेकेंड में कैसे हुआ अंतमाफिया अतीक अहमद हत्या की गई तब वह 61 साल का था. इससे पहले करीब चार दशक तक उसकी माफियागिरी का साम्राज्य चला. कैसे वह माफिया बना और कैसे नेता, जानिए...#प्रयागराज: माफिया अतीक अहमद ने महज 17 साल की उम्र में पहली बार हत्या की घटना को अंजाम दिया था. उसका जन्म 10 अगस्त 1962 को हुआ था. 15 अप्रैल 2023 की रात को सरकारी अस्पताल में मेडिकल चेकअप करने के लिए अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को जब ले जाया जा रहा था तभी मीडिया के वेष में आए बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग करके दोनों को मौत के घाट उतार दिया. 61 साल के अतीक अहमद पर उसकी हत्या से पहले 102 मुकदमे दर्ज किए जा चुके थे. माफिया से नेता बने अतीक अहमद के खिलाफ आखिरी मुकदमा मार्च में दर्ज किया गया था.शूटरों ने अतीक अशरफ को उसके ही अंदाज में मारा: अतीक अहमद और अशरफ के ऊपर कई लोगों की सरेआम हत्या करवाए जाने का आरोप लगता रहा है. जिस तरह से अतीक अहमद और अशरफ दूसरे लोगों को शूटरों से मरवाते थे. ठीक उसी अंदाज में शनिवार की रात को तीन शूटरों ने पुलिस कस्टडी में होने के बावजूद माफिया बंधुओं को गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया. अतीक अशरफ को मारने वाले शूटरों ने प्रि पलान के अनुसार घटना को अनजाम दिया । अतीक अहमद दसवीं की परीक्षा में फेल हुआ, जिसके बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी. जिस उम्र में बच्चे खेलते हैं उसी 17 साल की उम्र में अतीक ने जरायम की दुनिया में कदम रख दिया था. 1979 में अतीक ने पहली हत्या की थी, जिसके बाद अतीक जुर्म की दुनिया में आगे ही बढ़ता गया और उसके खिलाफ 102 केस दर्ज हो चुके हैं.राजनीति की दुनिया में रखा कदम: जुम की दुनिया में रसूख बढ़ने के बाद अतीक अहमद ने राजनीति की दुनिया में कदम रख दिया. राजनीति की दुनिया में भी अतीक अहमद को उसी तरह से सफलता मिलनी शुरू हो गई, जैसी जुर्म की दुनिया में मिलती थी. जुर्म और राजनीति की दुनिया में सफलता मिलने के बाद अतीक अहमद ने पूर्वांचल समेत यूपी के अलग अलग इलाके में सरकारी ठेकेदारी, खनन के साथ ही रियल स्टेट के कारोबार में एंट्री कर ली थी. जिससे इन धंधों में भी अतीक की मर्जी के बिना कोई काम नहीं कर सकता था.जब पुलिस ने पहली बार खोली थी अतीक की हिस्ट्रीशीट: इसी के साथ 1990 के बाद से अतीक अहमद रंगदारी और उगाही भी शुरू कर चुका था. पिछले 30 साल से प्रयागराज और आसपास के जिलों के हर बड़े कारोबारी को अतीक अहमद को उसका हिस्सा देना पड़ता था. बताया जाता है की 30 साल पहले 1992 में पुलिस ने पहली बार अतीक अहमद की हिस्ट्रीशीट खोली थी. जिसमें जानकारी दी गई थी कि अतीक अहमद के खिलाफ यूपी में इलाहाबाद के अलावा लखनऊ, कौशाम्बी, चित्रकूट के अलावा बिहार में भी हत्या, अपहरण, जबरन वसूली आदि के मामले हो गए थे. बाहुबली अतीक के खिलाफ सबसे ज्यादा मामले प्रयागराज जिले में ही दर्ज हुए हैं. अतीक अहमद की मौत होने तक उसके खिलाफ कुल 102 केस दर्ज हो चुके थे.#चुनाव: बसपा विधायक राजू पाल 2005 में जब हत्या हुई थी, उस वक्त अतीक अहमद प्रयागराज की फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद था. जिसके बाद हुई बदनामी के कारण सपा ने 2007 के विधानसभा चुनाव में उसे पार्टी से टिकट नहीं दिया. इसके साथ ही पार्टी से भी बाहर कर दिया था. यही वो समय था जिसके बाद से अतीक अहमद ने लोकसभा से लेकर विधानसभा तक चुनाव में दांव आजमाया लेकिन, उसे किसी भी चुनाव में कामयाबी नहीं मिली.बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के बाद अतीक अहमद को राजनीति में असफलता ही हाथ लगी और 2017 में अतीक अहमद के जेल जाने के बाद उसका राजनीतिक करियर लगभग समाप्त होना शुरू हो गया था. जिसका आभास होते ही अतीक अहमद ने अपनी शाइस्ता परवीन को दो साल पहले राजनीति की दुनिया में एआईएमआईएम के जरिए एंट्री करवा दी थी. अतीक अहमद की सेटिंग का ही नतीजा था कि 5 जनवरी को शाइस्ता परवीन बसपा में शामिल हो गई महापौर के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने में गई थी. लेकिन, उमेश पाल हत्याकांड से शाइस्ता राजनीतिक सफर शुरू होने से पहले ही रुक गया.मायावती की सरकार ने 2007 में शुरू की थी अतीक के खिलाफ कार्रवाई: यूपी में बसपा की सरकार बनने और मायावती के सीएम बनने के बाद अतीक अहमद के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला 2007 में शुरू हुआ था. मायावती के राज में अतीक अहमद के खिलाफ कानूनी शिकंजा कसने के साथ ही उसके साम्राज्य को ढहाने की कार्रवाई शुरू की गई थी. यही नहीं गिरफ्तारी के डर से बाहुबली सांसद अतीक फरार हो गया था.उसके घर कार्यालय सहित कई जगहों की प्रॉपर्टी को न्यायालय के आदेश पर कुर्क किया गया था. इसके साथ ही अतीक अहमद के फरार होने के बाद उसके ऊपर 20 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था. 20 हजार के इनामी सांसद की गिरफ्तारी के लिए पूरे देश में अलर्ट जारी कर दिया गया था. लेकिन, मायावती के डर से अतीक अहमद ने दिल्ली में समर्पण कर दिया था.उमेश पाल बन गया अतीक अहमद का काल: गुजरात के साबरमती जेल में बंद अतीक को उमेश पाल अपहरण कांड में सजा सुनाई जानी थी. लेकिन, ठीक उसके पहले 24 फरवरी को उमेश पाल को उसके दो गनर के साथ गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया गया. इस मामले में अतीक अहमद के साथ ही उसके पूरे परिवार को आरोपी बनाया गया. इसी बीच एमपी एमएलए कोर्ट ने अतीक अहमद और उसके वकील खान शौलत हनीफ और दिनेश पासी को आजीवन कारावास की सजा सुना दी. इसी बीच अतीक अहमद को पुलिस ने कस्टडी रिमांड पर लिया था और पुलिस कस्टडी रिमांड के पूरा होने से पहले ही अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
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समाज के फ्यूज बल्व #फ्यूज_बल्ब ...हाउसिंग सोसायटी में एक बड़े अफसर रहने के लिए आए जो हाल ही में सेवानिवृत्त (retired) हुए थे। ये बड़े वाले रिटायर्ड अफसर, हैरान परेशान से, रोज शाम को सोसायटी के पार्क में टहलते हुए, अन्य लोगों को तिरस्कार भरी नज़रों से देखते और किसी से भी बात नहीं करते थे।एक दिन एक बुज़ुर्ग के पास शाम को गुफ़्तगू के लिये बैठे और फिर लगातार बैठने लगे। उनकी वार्ता का विषय एक ही होता था -- मैं इतना बड़ा अफ़सर था कि पूछो मत, यहाँ तो मैं मजबूरी में आ गया हूँ, इत्यादि इत्यादि . और वह बुजुर्ग शांतिपूर्वक उनकी बातें सुना करते थे। एक दिन जब #सेवानिवृत्त अफसर की आँखों में कुछ प्रश्न , कुछ जिज्ञासा दिखी , तो बुजुर्ग ने ज्ञान दे ही डाला उन्होंने समझाया - *आपने कभी फूज बल्ब देखे हैं ? बल्ब के फ्यूज हो जाने के बाद क्या कोई देखता है कि कौन बल्ब किस कम्पनी का बना हुआ था , कितने वाट का था, उससे कितनी रोशनी या जगमगाहट होती थी ? बल्ब के फ्यूज़ होने के बाद इनमें से कोई भी बात बिलकुल ही मायने नहीं रखती। लोग ऐसे बल्ब को कबाड़ में डाल देते हैं । है कि नहीं ?*जब उस रिटायर्ड अधिकारी महोदय ने सहमति में सिर हिलाया तो बुजुर्ग बोले - *रिटायरमेन्ट के बाद हम सब की स्थिति भी फ्यूज बल्ब जैसी हो जाती है। हम कहां काम करते थे, कितने बड़े पद पर थे, हमारा क्या रूतबा था यह सब कुछ भी कोई मायने नहीं रखता ।*कुछ देर की शांति के बाद अपनी बात जारी रखते हुए फिर वो बुजुर्ग बोले कि *मै सोसाइटी में पिछले 5 वर्ष से रहता हूं और आज तक किसी को यह नहीं बताया कि मै दो बार संसद सदस्य रह चुका हूं । वे जो वर्मा जी हैं , रेलवे के महाप्रबंधक थे। वे सिंह साहब सेना में ब्रिगेडियर थे। वो मेहरा जी इसरो में चीफ थे। ये बात भी उन्होंने किसी को नहीं बतायी है, मुझे भी नहीं, पर मैं जानता हूँ ।*सारे फ्यूज़ बल्ब करीब - करीब एक जैसे ही हो जाते हैं, चाहे जीरो वाट का हो 40, 60, 100 वाट, हेलोजन या फ्लड-लाइट का हो, कोई रोशनी नहीं, कोई उपयोगिता नहीं; यह बात आप जिस दिन समझ लेंगे, आप शांतिपूर्ण तरीके से समाज में रह सकेंगे।**उगते सूर्य को जल चढा कर सभी पूजा करते हैं पर डूबते सूरज की कोई पूजा नहीं करता*। यह बात जितनी जल्दी समझ में आ जाएगी, उतनी जल्दी जिन्दगी आसान हो जाएगी कुछ लोग अपने पद को लेकर इतने वहम में होते हैं कि रिटायरमेन्ट के बाद भी उनसे अपने अच्छे दिन भुलाये नहीं भूलते। वे अपने घर के आगे नेम प्लेट लगाते हैं - ....... *सक्सेना , रिटायर्ड आइ ए एस*...... सिंह ...... रिटायर्ड जज आदि - आदि।*ये रिटायर्ड आइ ए एस कौन सा पोस्ट होता है भाई ????* माना कि आप बहुत बड़े आफिसर थे, बहुत काबिल भी थे, पूरे महकमे में आपकी तूती बोलती थी पर अब क्या? *अब तो आप फ्यूज बल्ब ही तो हैं*। *यह बात कोई मायने नहीं रखती कि आप किस विभाग में थे, कितने बड़े पद पर थे, कितने मेडल आपने जीते हैं* ? अगर कोई बात मायने रखती है तो वह यह है कि *आप इंसान कैसे हैं? आपने कितनी जिन्दगी को छुआ है* ? लोग आपसे डरते थे कि आपका सम्मान करते थे ? *अगर लोग आपसे डरते थे तो आपके पदच्युत होते ही उनका वह डर हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा* पर अगर लोग आप का सम्मान करते हैं तो *यह सम्मान आपके पद विहीन होने पर भी कायम रहेगा। आप मरने के बाद भी उनकी यादों में, उनके दिलों में जिन्दा रह सकते हैं* ।हमेशा याद रखिए *बड़ा अधिकारी बनना बड़ी बात नहीं, बड़ा इंसान बनना बड़ी बात जरूर है*।
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हनुमानगढ़ केवी प्रवेश #हनुमानगढ़ केवी में क्लास एक में ऑनलाइन एडमिशन 17 तक: अन्य सभी कक्षाओं के लिए भरे गए ऑफ लाइन फॉर्म, लॉटरी 17 अप्रैल कोप्रवेश प्रक्रिया 17 अप्रैल तक जारी रहेगी। कक्षा एक के अलावा अन्य सभी कक्षाओं में रिक्तियों पर ऑफ लाइन फॉर्म भरे गए हैं। 17 अप्रैल को लॉटरी प्रक्रिया के जरिए बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा।केन्द्रीय विद्यालय के प्रिंसिपल रामचन्द्र देहडू ने बताया कि केन्द्रीय विद्यालय में कक्षा एक में ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया जारी है, जो 17 अप्रैल तक जारी रहेगी। कक्षा एक के अलावा अन्य सभी कक्षाओं में रिक्तियों पर ऑफ लाइन फॉर्म भरे गए हैं। इसका पंजीकरण 12 अप्रैल तक हुआ। देहडू ने बताया कि बाल वाटिका एक में 40 वेकेंसी है, जबकि 146 आवेदन प्राप्त हुए हैं। बाल वाटिका दो में 2 वेकेंसी है, जबकि आवेदन 109 प्राप्त हुए हैं। बाल वाटिका तीन में 4 वेकेंसी है, जबकि 62 आवेदन आए हैं। कक्षा दो में6 रिक्तियां हैं, जबकि 31 आवेदन मिले हैं। कक्षा तीन में 10 रिक्तियां हैं और 87 आवेदन आए हैं। कक्षा चार में 2 रिक्तियां हैं और 65 आवेदन आए हैं। इसी प्रकार कक्षा पांच में 4 रिक्तियों पर 77, कक्षा छह में 1 रिक्ति पर 56, कक्षा आठ में 1 रिक्ति पर 40, कक्षा सात और कक्षा नौ में कोई रिक्तियां नहीं हैं। इन सभी कक्षाओं में रिक्तियों पर कुल 700 आवेदन ऑफ लाइन प्राप्त हुए हैं। 17 अप्रैल को केन्द्रीय विद्यालय में सुबह नौ बजे लॉटरी होगी। प्रिंसिपल देहडू ने बताया कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन के नियमानुसार केन्द्रीय कर्मियों के बच्चों को प्राथमिकता दी जाएगी। उसी के आधार पर मैरिट बनाई जाएगी। बच्चे एडमिशन के लिए कन्फर्म होंगे, उन्हें कन्फर्म और शेष को वेटिंग लिस्ट में रखा जाएगा। लॉटरी के लिए कमेटी गठित की गई है।
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अच्छाई की मार्केटिंग
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स्मार्ट क्लास रूम में पढ़ेंगे एमजीजीएस ढाबां के बच्चे संगरिया। नये शैक्षणिक सत्र में महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय, ढाबां के बच्चे स्मार्ट क्लास रूम में पढ़ेंगे। इसके लिए संगरिया की विद्यार्थी कल्याण संस्था ने विद्यालय के राष्ट्रीय आईसीटी अवॉर्डी अध्यापक उदय सिंह बेनीवाल से विद्यार्थियों की नवयुगीन सीखने की आवश्यकता को समझा एवं इंटरएक्टिव बोर्ड के लिए पचास हजार रुपए की सहयोग राशि चेक द्वारा भेंट की है। प्रधानाचार्य सी आर भदरा ने बताया कि इंटरैक्टिव एवं डिजिटल शिक्षा प्रत्येक विद्यार्थी को सरलता, सहजता व दोहरान के साथ आसानी से समझने की क्षमता विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विद्यार्थी कल्याण संस्था सदस्यों ने राशि का चेक प्रदान करते हुए विद्यालय के स्टाफ सदस्यों से कहा कि आपके इस प्रयास से गांव के बच्चे भी स्मार्ट एजुकेशन प्राप्त कर सकेंगे। इस मौके पर विद्यार्थी कल्याण संस्था के कोषाध्यक्ष शिवेश नारंग, ओम प्रकाश, अरोड़वंश सभा के पूर्व अध्यक्ष केवल कृष्ण कथूरिया, ढाबां निवासी के सी गोदारा, बलवंत राम, इंदु सहगल, सत्यदेव गोदारा व सतीश
9अगस्त 2023 को महाराज सूरजमल की मुर्ति स्थापना
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#ढाबां महाराजा सूरजमल मूर्ति स्थापना संगरिया तहसील के ढाबां गांव में महाराजा सूरजमल की मूर्ति का अनावरण किया तहसील के ढाबां गांव में महाराजा सूरजमल की मूर्ति का अनावरण किया गया। मूर्ति अनावरण #चौधरी_सांवत_सिंह_स्थल, बैनिवाल बास ढाबां में किया गया। #मुख्य_अतिथि हरियाणा राज्य के पूर्व सिंचाई मंत्री चौधरी हर्ष कुमार होडल थे। हर्ष कुमार होडल ने बताया कि भूमि दान सर्वश्रेष्ठ दान माना गया है और भूमि दान दाता चौधरी देवी लाल बैनिवाल का और उनके परिवार का आभार व्यक्त किया। चौधरी देवी लाल बैनिवाल के दोनों पुत्रों विजय सिंह बैनिवाल और उदय सिंह बैनिवाल राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित शिक्षक राष्ट्रीय आईसीटी अवार्ड प्राप्त दोनों भाइयों का और चौधरी देवीलाल का आभार प्रकट किया। उनके पूरे परिवार को कुनबे को इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए वंदन करते हुए बताया कि ऐसा परम सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिलता है। कार्यक्रम में चौधरी देवीलाल बैनिवाल और उनके परिवार की तरफ से पारिवारिक प्रतिनिधि के तौर पर उदयमिता बैनिवाल चौधरी देवी लाल बैनिवाल की पोत्री ,राजीव बैनिवाल पुत्र भागीरथ बैनिवाल भी उपस्थित