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#राजस्थान लॉरेंस-गोदारा जैसे गैंगस्टर्स पर बड़े एक्शन की तैयारी: मदद भी की तो उम्रकैद; सबसे पहले आवाज में पढ़िए- क्यों बदमाशों का दुश्मन है '#राकोका'संगरिया की आवाज़। राजस्थान सरकार अब लॉरेंस बिश्नोई और रोहित गोदारा जैसे गैंगस्टर्स के खिलाफ बड़ा एक्शन लेने जा रही है। इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है। गैंग बनाकर अपराध करने वाले गैंगस्टर्स और उनके गुर्गों के खिलाफ राजस्थान सरकार आज विधानसभा में कड़ा कानून पास करवाने जा रही है। विधानसभा में पास होने से पहले राकोका विधेयक पर एक रिपोर्ट...#माकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम) की तर्ज पर विधानसभा में मंगलवार को राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक यानी राजस्थान कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम (राकोका) पारित करवाया जाएगा।राकोका के प्रावधानों के अनुसार गैंग बनाकर अपराध करने वालों की प्रॉपर्टी जब्त होगी। इसे सरकार अपने कब्जे में लेगी। गैंगस्टर्स की प्रॉपर्टी या पैसा अपने कब्जे में रखने वालों को भी सजा होगी। गिरोह बनाकर फिरौती वसूलने, पैसे के लिए धमकाने वालों को राकोका के दायरे में लिया जाएगा। राकोका के केस की सुनवाई के लिए अलग से कोर्ट होगा। डीएसपी स्तर का अफसर ही राकोका में केस दर्ज करेगा। जिन अपराधियों के खिलाफ पिछले 10 साल में एक से ज्यादा चार्जशीट पेश की गई हों और कोर्ट ने उन पर संज्ञान लिया हो। ऐसे अपराधियों को राकोका के दायरे में लिया जाएगा। इस केस में लंबे समय तक जमानत नहीं होगी।फिरौती के लिए दो अपराधियों ने मिलकर धमकाया तो लगेगा राकोकागैंग बनाकर किए जाने वाले अपराध पर यह कानून लागू होगा। अपराध करने वाली गैंग के हर मेंबर के खिलाफ राकोका प्रावधानों के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी। अगर दो या इससे ज्यादा अपराधियों ने मिलकर किसी को फिरौती के लिए धमकाया, पैसा वसूला तो इसे राकोका के तहत संगठित क्राइम मानकर कार्रवाई होगी। ऐसा करने वालों की प्रॉपर्टी और पैसा जब्त होगा।🎯गैंगस्टर्स को शरण देने वालों को उम्रकैद तक सजाक्राइम करने वाली गैंग के किसी भी मेंबर को शरण देने वाले के खिलाफ नए बिल में कड़ी कार्रवाई के प्रावधान हैं। गैंग बनाकर अपराध करने वाले अपराधियों को शरण देने वालों को कम से कम पांच साल की सजा और पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। शरण देने पर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।आपराधिक गैंग बनाकर अवैध वसूली, फिरौती, तस्करी सहित किसी भी अवैध तरीके से पैसा और प्रॉपर्टी बनाने पर कम से कम तीन साल की सजा होगी। यह सजा उम्रकैद तक की हो सकती है। सरकार इस तरह की प्रॉपर्टी को जब्त करके नीलाम करेगी।🎯हर तरह के अपराध कवर होंगेइसमें हर तरह का क्राइम कवर होगा। ड्रग्स तस्करी, शराब तस्करी, अवैध वसूली, फिरौती जैसे क्राइम करने वाले इसके टारगेट पर रहेंगे। राकोका के नियमों में इसके प्रावधानों को और ज्यादा स्पष्ट करते हुए कड़े प्रावधान किए जा सकते हैं। गैंगस्टर्स के खिलाफ एक्शन के लिए नियमों में एसओपी भी बनेगी। राकोका के नियमों पर एक्सरसाइज हो चुकी है।🎯गैंगस्टर्स का कमाया पैसा-प्रॉपर्टी अपने पास रखी तो 10 साल तक की सजाआपराधिक गैंग की किसी भी रूप में गैंगस्टर के अपराध से कमाए हुए पैसे या चल-अचल संपत्ति कोई अपने कब्जे में रखता है तो सजा होगी। गैंग बनाकर अपराध करने से कमाई बेनामी प्रॉपर्टी रखने वालों की संपत्ति कुर्क होगी। इसके साथ साथ ही 3 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।🎯अपराधियों का सहयोग करने वाले पुलिस कर्मी-सरकारी कर्मचारी को भी सजाकोई पुलिस कर्मी या सरकारी कर्मचारी अगर गैंग बनाकर अपराध करने वालों का सहयोग करता है। उसके लिए तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके दायरे में सभी कर्मचारी आएंगे।किसी भी तरह से सहायता करने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।🎯डीएसपी रैंक का अफसर करेगा जांचराकोका में मुकदमा दर्ज करने से पहले रेंज के डीआईजी से मंजूरी लेनी होगी। डीएसपी स्तर से नीचे का अफसर इसकी जांच नहीं कर सकेगा। चार्जशीट पेश करने से पहले एडीजी स्तर के अफसर से मंजूरी लेनी होगी।🎯बंद कोर्ट में होगी सुनवाई, गवाह की पहचान उजागर करने पर सजा#राकोका के मामलों की सुनवाई ओपन कोर्ट में करने की जगह बंद कोर्ट में की जाएगी। गैंगस्टर्स और खतरनाक अपराधियों के खिलाफ गवाही देने वालों पहचान गुप्त रखी जाएगी। गवाह की पहचान सार्वजनिक करने वाले को एक साल तक की जेल और एक हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा।🎯फरार होने पर प्रॉपर्टी जब्त करने का प्रावधानआपराधिक गैंग का कोई मेंबर अगर फरार होता है तो उसकी प्रॉपर्टी जब्त की जा सकेगी। इसके लिए स्पेशल कोर्ट आदेश देगा। स्पेशल कोर्ट के आदेश के बाद प्रॉपर्टी जब्त की जा सकेगी। अपराध से कमाई गई प्रॉपर्टी का पहले वेरिफिकेशन करके कोर्ट में मामला रखा जाएगा। कोर्ट के आदेश के बाद अपराध से कमाई गई प्रॉपर्टी जब्त करके कुर्क की जा सकेगी।🎯गैंगस्टर की किसी भी तरह मदद करने पर सजागैंगस्टर की कोई अगर मदद करता है। उसका समर्थन करता है। गैंग के काम को किसी भी तरह से आसान बनाता है तो सजा होगी। किसी भी तरह सहयोग फरार होने पर प्रॉपर्टी जब्त करने का प्रावधान आपराधिक गैंग का कोई मेंबर अगर फरार होता है तो उसकी प्रॉपर्टी जब्त की जा सकेगी। इसके लिए स्पेशल कोर्ट आदेश देगा। स्पेशल कोर्ट के आदेश के बाद प्रॉपर्टी जब्त की जा सकेगी। अपराध से कमाई गई प्रॉपर्टी का पहले वेरिफिकेशन करके कोर्ट में मामला रखा जाएगा। कोर्ट के आदेश के बाद अपराध से कमाई गई प्रॉपर्टी जब्त करके कुर्क की जा सकेगी।🎯राकोका अपराधियों के फोन टेप की सालाना रिपोर्टइस कानून में इंटरसेप्ट किए गए फोन, ईमेल और मैसेज की सालाना रिपोर्ट तैयार होगी। इसमें पूरा ब्योरा होगा। फोन टेप मंजूर करने वाले आवेदनों की संख्या और उनके कारणों की भी इसमें डिटेल दी जाएगी। हर साल इसकी रिपोर्ट विधानसभा में रखी जाएगी। अगर कोई मामला राज्य की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। संगठित अपराध को कंट्रोल करने में दिक्कत करता हो तो विधानसभा में भेजी जाने वाली सालाना रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया जाएगा।🎯मार्च में पेश हो गया था बिलयह बिल मार्च में ही सदन में पेश हो गया था, लेकिन उस वक्त पारित नहीं हो सका था। अब विधानसभा में इसे पारित करवाने के बाद जल्द गजट नोटिफिकेशन करके इसके रूल्स बनाए जाएंगे। महाराष्ट्र के मकोका कानून की तर्ज पर राजस्थान में अब राकोका के तहत गैंगस्टर्स के खिलाफ कार्रवाई होगी।सीएम ने कारणों में लिखा- अपराधी गैंग बनाकर ठेके पर मर्डर करवा रहेसरकार ने राकोका बिल लाने के पीछे सबसे बड़ा कारण गैंग बनाकर किए जाने वाले अपराधों को कंट्रोल करना बताया है। बिल के कारणों और उद्देश्यों में गृह मंत्री के तौर पर सीएम अशोक गहलोत ने लिखा है- प्रदेश में पिछले दशक में अपराध के पैटर्न में बदलाव देखा गया है । पहले अकेले अपराध होते थे, लेकिन अब हत्या, डकैती, लूट, अपहरण जैसे अपराध संगठित गिरोह बना कर किए जा रहे हैं। नई उम्र के अपराधी इन आपराधिक गिरोह में शामिल होकर गैंग बना रहे हैं। ऐसे उदाहरण भी देखने में आए हैं कि कई जिलों में आपराधिक गैंग के अपराधियों ने शूटर, मुखबिर और हथियार सप्लायर ग्रुप बना कर खुद का एक मजबूत नेटवर्क बना लिया है। ये गैंग मुख्य रूप से कॉन्ट्रैक्ट मर्डर करवाते हैं। व्यापारियों को धमकी देकर वसूली करते हैं। ड्रग्स की तस्करी करते हैं। इससे गैंग भारी पैसा कमा रहे हैं।🎯गैंगस्टर्स महंगे वकील करते हैं, गवाहों को मरवा देते हैंबिल के कारणों में सीएम गहलोत ने लिखा है- आपराधिक गैंग अपराध से कमाए हुए पैसे को प्रॉपर्टी में लगाने के साथ-साथ जेल में अपने सहयोगियों की देखभाल करने में और मुकदमे के लिए महंगे वकीलों की सेवाएं लेने में भी करते हैं । जो उनके खिलाफ गवाही देने की हिम्मत करते हैं, ऐसे गवाहों को मरवा देते हैं । गैंग बनाकर अपराध करने वाले अपराधी कानून की कमजोरियों का फायदा उठाते हैं और कुछ समय में ये जनता में अपनी एक ऐसी डरावनी छवि बना लेते हैं जो वास्तविकता से परे होती है। इस तरह की इमेज व्यापारियों, उद्योगपतियों को संरक्षण देने के बदले उनसे पैसा उगाहने में इनकी मदद करती है। ऐसा करने से गैंग में शामिल अपराधियों का बैंक बैलेंस और बढ़ता रहता है। ये पैसे वाले बन जाते हैं।🎯राजस्थान में कड़ा कानून बनाने की जरूरत थीबिल के कारणों में सीएम ने लिखा इंटरनल सिक्योरिटी के विशेषज्ञों और कानून निर्माताओं के बीच इस बात पर सहमति बनी है कि गैंग बनाकर अपराध करने वालों से निपटने के लिए कड़े कानून की जरूरत है। कुछ राज्यों में पहले से ही स्पेशल कानून बनाए गए हैं। इनमें महाराष्ट्र में मकोका और इसी तरह का कानून दिल्ली-एनसीआर में भी बनाया गया है। ऐसे हालात को देखते हुए राजस्थान में कड़ा कानून बनाने की जरूरत थी । यह कानून पुलिस को मजबूत बनाएगा। अपराधियों की प्रॉपर्टी- पैसे को जब्त करने के लिए खास प्रावधान करेगा। -🎯सहयोग की परिभाषा के प्रावधानों का दुरुपयोग होने की आशंका#राकोका में गैंग का सहयोग करने की परिभाषा में ऐसे प्रावधान हैं, जो मीडिया कवरेज के लिए दिक्कतें पैदा कर सकते हैं। सहयोग की परिभाषा में यह लिखा गया है कि ऐसी कोई भी सूचना जिससे संगठित अपराध सिंडिकेट को मदद मिलने की संभावना हो, किसी कानूनी अधिकार के बिना उसे आगे बढ़ाना या उसका प्रकाशन करना और संगठित अपराध सिंडिकेट से मिले किसी दस्तावेज या सामग्री को आगे बढ़ाना या उसका प्रकाशन या डिस्ट्रीब्यूशन करना। किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क में रहना जो किसी क्रिमिनल गैंग का मेंबर हो तो इसे गलत माना गया है।सहयोग की इस परिभाषा का दुरुपयोग होने की आशंका है। इन नियमों में साफ नहीं किया गया तो आगे एक्सपर्ट इसके दुरुपयोग की आशंका जता रहे हैं। विधानसभा में इस बिल पर बहस के दौरान कई विधायक इस मुद्दे को उठाने की तैयारी कर रहे हैं। सूचना और संपर्क की परिभाषा को और ज्यादा स्पष्ट किए बिना इसके प्रावधान खतरनाक हो सकते हैं। राज्यों के कई कानूनों पर इस तरह के प्रावधानों पर पहले भी विवाद हो चुके हैं। बीजेपी राज में लाए गए एक बिल पर इसी तरह के प्रावधानों के कारण भारी विवाद हुआ था। लंबे विवाद के बाद उस प्रावधान वाले बिल को ही वापस ले लिया गया था।🎯प्रदेश में लॉरेंस सहित कई गैंग एक्टिवराजस्थान में लॉरेंस के अलावा स्थानीय स्तर पर कई गैंग सक्रिय हैं। इनसे बड़ी संख्या में अपराधी जुड़े हैं। गैंग बनाकर अपराध करने वालों पर कंट्रोल के लिए कई बार अभियान चलाए गए, लेकिन इनकी गतिविधियों पर कोई कंट्रोल नहीं हुआ। हरियाणा, यूपी बॉर्डर पर कई गैंग सक्रिय हैं। नया कानून बनने के बाद गैंग बनाकर अपराध करने वालों के खिलाफ राकोका में केस दर्ज कर कड़ी कार्रवाई होगी।🎯विधानसभा चुनाव से पहले नरेटिव बदलने की कोशिशप्रदेश में कानून व्यवस्था बड़ा चुनावी मुद्दा बन रहा है। गैंग बनाकर अपराध करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। लगातार बढ़ते अपराधों और गैंगस्टर्स की भूमिका सामने आने के बाद सरकार की इमेज पर असर पड़ा है। चुनावी साल में सीएम अशोक गहलोत राकोका के जरिए विपक्ष के बनाए हुए नरेटिव को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। गहलोत कानून व्यवस्था को लेकर सख्त एक्शन करने वाले सीएम की इमेज बनाना चाहते हैं। विपक्ष कानून व्यवस्था को लेकर लगातार सरकार पर हमलावर है। विधानसभा में हर दिन इस मुद्दे को उठाया जा रहा है। अब राकोका के जरिए सख्त एक्शन वाले सीएम की छवि बनाने का प्रयास होगा। विधानसभा चुनाव की अक्टूबर में आचार संहिता लगने से पहले इसके नियम बनाकर इसे लागू करने की तैयारी है।🎯गैंगस्टर्स के पैसे कमाने के सोर्स पर अटैक की रणनीतिपुलिस पिछले काफी दिनों से बड़े अपराधियों और गैंगस्टर्स को आर्थिक रूप से कमजोर बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। अपराधियों की प्रॉपर्टी सीज करने और बुलडोजर की कार्रवाई चल रही है। राजधानी समेत कई बड़े और छोटे शहरों में हिस्ट्रीशीटरों की अवैध प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चलाए गए हैं। राकोका बनने के बाद गैंग ऑपरेट करने वाले अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई तेज होने के आसार हैं। राकोका के बाद बड़े गैंगस्टर्स की अवैध वसूली से कमाई गई प्रॉपर्टी को जब्त करना आसान हो जाएगा।🎯1999 में अंडरवर्ल्ड को खत्म करने महाराष्ट्र ने बनाया था #मकोकामहाराष्ट्र सरकार ने संगठित क्राइम और अंडरवर्ल्ड को खत्म करने के लिए साल 1999 में महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट ( मकोका) बनाया था। मकोका की तर्ज पर कानून को 2002 में दिल्ली सरकार ने लागू कर दिया। इसके बाद छह साल पहले यूपी सरकार ने भी इसी तरह का कानून बनाया। अब राजस्थान में भी संगठित क्राइम के खिलाफ उसी तरह का कानून लाया जा रहा है।🎯मकोका बहुत सख्त प्रावधान वाला कानूनमकोका के प्रावधान बहुत कड़े हैं। मकोका लगने के बाद आसानी से जमानत नहीं मिलती है। मकोका में पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए 180 दिन का वक्त मिल जाता है, जबकि दूसरे मामलों में यह 60 से 90 दिन में चार्जशीट दाखिल करनी होती है। मकोका में 30 दिन तक रिमांड हो सकती है।संगरिया की आवाज़-न्यूज़ एजेंसी हनुमानगढ़ की आवाज़। Bharatclicks News DhruvRaj Godara Ajeet Beniwal Adv Madan Singh Burdak Adv Surender Sooch Dhaban Adv SukhvirBhambhu Hanumangarh Rajasthan Adv Prince Midha Ajeet Singh Dhaliwal

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#चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की पोल खोलती पत्रिका की खबर ।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यह खबर जरूर पढ़नी चाहिए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि राजस्थान में लागू मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना को देशभर में लागू किया जाए ताकि गरीब आदमी का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त में हो सके। सीएम गहलोत अपनी इस योजना को सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण मानते हैं। गहलोत का दावा है कि ऐसी योजनाओं से खुश प्रदेश की जनता कांग्रेस की सरकार रिपीट कराएगी, लेकिन 7 मई को पत्रिका ने योजना की पोल खोल दी है। योजना की खामियों को बताता है जिसके अंतर्गत निजी अस्पतालों में मरीज का इलाज नहीं हो रहा है। पत्रिका की खबर को ब्लॉक में ज्यों का त्यों रखा जा रहा है, ताकि योजना की हकीकत आम लोगों तक पहुंच सके, पत्रिका ने यह सराहनीय कार्य किया है। सीएम गहलोत को भी पत्रिका की खबर जरूर पढ़नी चाहिए ताकि जमीनी हकीकत की जानकारी हो सके। पत्रिका की खबर:किसी मरीज को गंभीर निमोनिया है, पेट-दिमाग में संक्रमण, हृदय, कैंसर या किडनी सहित अन्य गंभीर बीमारी है तो उसकी जिंदगी बचाने के लिए पहले ही दिन 15 से 20 हजार रुपए की दवाइयों की जरूरत होती है। लेकिन चिरंजीवी बीमा में प्रतिदिन इलाज के लिए मात्र 6 हजार रुपए की पैकेज राशि गंभीर मरीज के उपचार में बाधा बन रही है। हैरत की बात यह है कि यह पैकेज गंभीर और सामान्य सभी बीमारियों के मरीजों के लिए एक समान है। यानी बीमा भले ही 25 लाख रुपए सालाना हो, लेकिन रोजाना 6 हजार रुपए से ज्यादा नहीं मिलेंगे, भले ही मरीज कितना भी गंभीर बीमार क्यों न हो। इसमें दवाइयां, जांच सब खर्च अनिवार्य है। अब या तो डॉक्टर अपनी जेब से खर्च करे, इससे ज्यादा खर्च होने पर डॉक्टर पैसे नहीं ले सकता और परिजन चिरंजीवी में होने के कारण देना नहीं चाहते। राजस्थान पत्रिका ने अलग-अलग निजी डॉक्टरों से योजना में आ रही परेशानियों की चर्चा की तो बोले, सरकार तो सक्षम है सरकारी अस्पताल में सब कुछ भुगतने के लिए निजी अस्पताल कहां से भुगतेंगे।इलाज लंबा चलने पर निजी अस्पतालों की मना:अस्पतालों में चिरंजीवी या दूसरी सरकारी योजना का पैकेज समाप्त होने के बाद रोजाना दर्जनों मरीज हमारे यहां आते हैं। पैकेज के बाद निजी अस्पताल मना कर देते हैं, लेकिन इन्हें हमें रखना पड़ता है। चिरंजीवी के वही पैकेज यहां भी हैं, लेकिन यहां निरोगी राजस्थान का विकल्प खुला है। सरकारी में भीड़ देखकर मरीज निजी में जाता है, पांच सात दिन बाद बजट खत्म हो जाता है तो वापस आ जाता है। चिरंजीवी में बीमारियों के कोड फिक्स हैं। किसी बीमारी के 60 हजार रुपए तय कर दिए, लेकिन इलाज लंबा चल रहा है तो निजी अस्पताल मना कर देगा।181 या संपर्क पोर्टल पर दें जानकारीचिरंजीवी से जुड़े अधिकारियों का दावा है कि योजना के पैकेज सभी खर्च का आकलन कर तय किए गए हैं। ब्लड आदि आवश्यकताओं पर इससे अधिक भी दिए जाते हैं। चिरंजीवी योजना में निजी अस्पताल की पैकेज दरों में इलाज में कमी या परेशानी की शिकायत 181 नंबर या संपर्क पोर्टल पर भी दर्ज करवाई जा सकती है।इन मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी:गंभीर मरीजों का उपचार चिरंजीवी बीमा में करने में बड़ी परेशानी आ रही है। यह मरीजों के जीवन में बाधा खड़ी कर रहा है। इसका सर्वाधिक खामियाजा निमोनिया सेप्टिक शॉक एआरडीएस और आईएलडी जैसी बीमारियों के मरीजों को उठाना पड़ रहा है। सच यह है कि गंभीर बीमार मरीज की जान बचाने के लिए पहले ही दिन 15 से 20 हजार रुपए का खर्च हो जाता है। लेकिन कई बार 6 हजार रुपए के बाद इलाज करना ही बंद कर देते हैं। अब अतिरिक्त खर्च कितने मरीजों पर निजी अस्पताल भुगतेगा।सरकारी अस्पताल में जाने की सलाह:कार्डियक के एक मरीज का पैकेज में इलाज किया गया। लेकिन उसकी जटिलता बढ़ती गई। पैकेज के बाद निजी में इलाज नहीं किया गया। उसे सरकारी में ही जाने की सलाह दी गई। चिकित्सकों के अनुसार पैकेज में बाद की जटिलता के इलाज की व्यवस्था ही नहीं की गई। सिर्फ बाध्य किया गया है कि निजी को उसी पैकेज में ही इलाज करना है।

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#संगरिया #किरण_गर्ग_चुनी_गई_एपेक्स_वुमन_क्लब_की_अध्यक्ष💐संगरिया की आवाज़-न्यूज़ एजेंसी बधाई 💐🌹💐क्लब की वार्षिक बैठक सम्पन्न- #संगरिया शहर की अग्रणी सामाजिक संस्था एपेक्स वुमन क्लब (रजि.) की वार्षिक सामान्य बैठक क्लब अध्यक्ष व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नीलम सोनी की अध्यक्षता में सदस्य नविता गोयल के घर पर हुई। बैठक में वार्षिक चुनाव सम्पन्न हुए जिसमें सर्वसम्मति से क्लब की सरंक्षक नीलम बंसल, अध्यक्ष किरण गर्ग, सचिव सुंदरी सोनी और कोषाध्यक्ष के पद पर ममता गर्ग का चयन किया गया। बैठक का प्रारंभ गणेश वंदना और प्रार्थना से हुआ। एपेक्स आइडियल्स स्वाति गुप्ता द्वारा पढ़ी गयी। नए पदाधिकारियों को शीघ्र ही समारोहपूर्वक पद व गोपनीयता की शपथ दिलवाई जाएगी। बैठक में गत वर्ष के कार्यों व भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा पर विस्तृत चर्चा हुई। अध्यक्ष नीलम सोनी ने एपेक्स को इतनी ऊंचाइयों पर ले जाने का सारा श्रेय संस्था के सभी कर्मठ, डेडीकेटेड और सक्रिय सदस्यों को दिया, जिन्होंने निरंतर सेवा कार्यों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोषाध्यक्ष नीलम बंसल ने बताया कि निर्जला एकादशी को पानी के दान का अत्यंत महत्व है तथा क्लब द्वारा हर वर्ष की भांति इस बार भी 31 मई को निर्जला एकादशी के उपलक्ष्य पर शरबत व नींबू पानी की छबील लगाई जाएगी तथा क्लब के स्थायी प्रकल्प के रूप में अग्रसेन मार्किट में राहगीरों के लिए वाटर कूलर की स्थापना की जाएगी। बैठक का समापन राष्ट्रीय गान से हुआ। बैठक में नीलम सोनी, नीलम बंसल, किरण गर्ग, सुंदरी सोनी, ममता गर्ग, पायल जैन, स्वाति गुप्ता, रचना यादव, नीरू सोमानी, रिम्पी गर्ग, नविता गोयल, डॉ. जयश्री, पिंकी अग्रवाल, नीतू गर्ग आदि सदस्य उपस्थित थे।

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#कौन_पास_कौन_फैलस्कूल में चल रहे '#न्यू_इडिया' कार्यक्रम के तहत मैने '#नये_भारत_के_समक्ष_चुनौतियाँ' पर अपना व्याख्यान समाप्त किया ही था कि प्राचार्य सर ने मुझे बुलाया और कहा आप अच्छा बोलते हो और लिखते भी हो। #शिक्षा_मंत्रालय_ने_आरटीई_पर_समीक्षा_रिपोर्ट_मांगी_है, तो जल्दी से रिपोर्ट तैयार करके ईमेल करो। मै समझ नहीं पाया कि इतने बड़े सरकारी मिशन पर क्या समीक्षा रिपोर्ट लिखू और वो भी हाथों-हाथ काफी देर सोचने के बाद मैने पिछले साल 9 मई की आप बिती को ही समीक्षा रिपोर्ट बनाने का फैसला कर कम्प्यूटर ऑन कर दिया ---9 मई की बात थी तेज तपती दुपहरी मे #जगदीपसिह अपने पिता के साथ अपना परीक्षा परिणाम जानने आया था। मैने दूर से देखते ही सातवीं कलाश के रिपोर्ट कार्डों मे से जगदीप का रिपोर्ट कार्ड बाहर निकाल लिया था। बहुत कम बातचीत मे मुझे लगा कि वे जल्दी में है तो मैने उनका कार्ड आगे करते हुऐ कहा बेटा यहां हस्ताक्षर कर दो उसने बड़ी मुश्किल से जोङ जोङ कर अपना अपना नाम जगदीप लिख दिया । मैने उनके बाप से भी हस्ताक्षर करने को कहा पर उन्होने असहमति में सिर हिला दिया । मैने कहा बेटा आप यहां इनका नाम लिख दो तो जगदीप ने बड़े #कॉन्फडेन्स से कहा गुरू जी मैनू मेरे बिणा किसे दा ना नी लिखना औंदा। (मेरे अलाव किसी का नाम नही लिखना आता) मैने दोनो की तरफ देखा और खुद ही सुखचैनसिह लिख दिया और रिपोर्ट कार्ड उनके हाथो में थमा दिया। उसके बाप ने पूछा साडा मुंडा पप्पू (घर का नाम) पास हो गया के जी, मेरे उतर की प्रतीक्षा करें बिना ही आगे बोला सारे मुंडे- कुडी पास हो गये। (सभी लड़के-लड़किया पास हो गये) मै सोच रहा था की अगर जगदीप सिंह पास हो गया तो फैल कोन हुआ ? क्या मै फैल हो गया ? क्या उसका बाप फैल हो गया ? क्या सरकार फैल हो गई ? क्या सिस्टम फैल हो गया ? क्या पुरा देश फैल हो गय ? मन तो कह रहा था कि एक ही झटके मे जवाब दे दू सब पर मुझे एक वफादार सरकारी शिक्षक होने का अहसास हुआ तो सरकारी शिक्षक के धर्म की पालना दिल पर पत्थर रख कर कहा, हॉ पप्पू यानी जगदीपसिह पास हो गया-सब पास हो गये केवल पास ? इतना कहते ही सुखचेनसिह मुस्कराते हुऐ कहा चकते फट्टे और जेब से चार-पांच टोफियाँ निकाली और हाथ आगे बढाते हुऐ कहा बहुत बहुत धनवाद जी धनवाद --- लो मुँह मिठा करो बहुत अच्छी टोफियॉ है #चूसो_जी_चूसो_चबाना_मत_जी कहते हुए चला गया मैने मेरी समीक्षा रिपोर्ट पूरी कर ली है और ईमेल भी कर दी है। (नोट: सामान्य पाठको की सुविधा के लिए सरल शब्दों में बता दू आरटीई एक ऐसा कानून है कि जिसमें किसी भी बच्चे को फैल नहीं किया जाता)फैल हो गये ! #राकेश_कुमार #राकेश ( प्राध्यापक, भादरा हनुमानगढ़) की कलम से संगरिया की आवाज़।

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#खरबूजे_की_खेती: कम पैसे में मोटी कमाई करने का मौका#sangariakiaawaz#Melon_Farming: कोरोनाकाल में कई रोगों से बचाता है खरबूजा, खूब खाईए और अपने सेहत का ख्याल रखिए.. जानिए इसकी फसल कैसे लगाई जाती है और किसान कैसे कमा रहे हैंदेश के अलग अलग हिस्से में 6 महीने खरबूजे की खेती होती हैखरबूजा ईरान, अनाटोलिया और अरमीनिया का मूल है. खरबूजा विटामिन ए और विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है. इसमें 90 फीसदी पानी और 9 फीसदी कार्बोहाइड्रेट होते हैं. भारत में खरबूजे उगाने वाली सब्जियों में राजस्थान,पंजाब, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश भी शामिल है.खरबूजा एक नकदी फसल है. फल पकते समय मौसम शुष्क तथा पछुआ हवा बहने से फलों में मिठास बढ़ जाती है. हवा में अधिक नमी होने से फल देरी से पकते है तथा रोग लगने की संभावना भी बढ़ जाती है.कैसे करें खरबूजे की खेती#डा_अनूपकुमार #कृषि_विज्ञान_केन्द्र_संगरिया के निर्देशन मे नाथवाना के प्रगतिशील किसान #अनूज_पुनिया_9887522718 चक मे आजकल सब्जीयों के उत्पादन पर विशेष अनुसंधान के साथ का काम कर रहे है. कई तरह की सब्जियों और तरबूज और खरबूजे (#रेड_परी, #लायलपुरी )की फसल का उत्पादन कर रहे है #हार्टिकल्चर_विभाग के #विभागाध्यक्ष_डाक्टर_महावीर_कंस्वा की देखरेख में इस सारे प्रोजेक्ट को देख रहे हैं. खरबूजा अब एक नकदी फसल के रुप में की जा रही है.बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त है खरबूजे के लिए खरबूजे के लिए गर्मी का मौसम सबसे उपयुक्त है इसलिए इसे लगाने का समय है. जनवरी की शुरुआत से लेकर फरवरी के अंत तक इसकी बेल लगाई जाती है.जमीन हल्दी रेतिली हो और तापमान 22 से 40 डीग्री के बीच हो तो फसल उत्पादन भी अच्छा रहता है. अगर इस समय पछुआ हवा चलने लगे तो फल में और मिठास आ जाती है.देश के अलग अलग हिस्से में 6 महीने खरबूजे की खेती होती हैवहीं अलग अलग प्रदेश में अलग महीने में इसकी बुआई होती है दक्षिण भारत में तो अक्टूबर में फसल लगती है जबकि बिहार में दिसंबर और जनवरी में वहीं उत्तर भारत के दूसरे प्रदेशों में फरवरी तक लगाई जाती है.कौन सी किस्म है बेहतरअब तो समतल जमीनों पर भी खेती की जाती है. जहां तक नस्ल की बात है तो इसमें पूसा मधुरस, अर्का राहंस, काशी मधु, दुर्गापूरा मधु, पंजाब सुनही, गुजरात खरबूजा जैसे कई किस्म अपने देश में खेती की जा रही है. इसमें क्षेत्र विशेष की भूमि की गुणवत्ता को आधार मानकर किसान फसल लगा रहे हैं.राजस्थान, हरियाणा के किसान हजारों एकड़ में कर रहे हैं खरबूजे की खेतीराजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के संगरिया तहसील के नाथवाना मे आजकल खरबूजे के लिए महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र बन गया है.कैसे लगाए जाते हैं खरबूजेफसलें हम दो बार लगाते हैं एक बार तो जनवरी के महीने में और दूसरे 15 फरवरी से एक 25 तक लगाते हैं.इसके पीछे यहीं कारण है कि दो महीने तक बाजार में हम अपनी उपज बेच सकें जनवरी में लगाई गई फसल अप्रैल में बाजार में आ जाती है,लेकिन फरवरी वाली मई की शुरुआत से लेकर पूरे महीने हमें आमदनी देती रहती है.अनूज पुनिया बताते हैं कि एक एकड़ में तीन से करीब क्यारी बनाते हैं हर क्यारी में बीज लगाते हैं या फिर दूसरे पारंपरिक तरीके से पौधे की लगाते हैं जैसे कलम विधि है.वहीं पानी की ज्यादा बचत हो इसके लिए मै अपनी फसल मंच विधि से लगाता हूूं वहीं हमारे यहां कई किसान ड्रीप विधि से फसल की पटवन करते हैं .शुरुआत में हमें 24 रुपये से 30 रुपये किलों के हिसाब कीमत मिलती हैहमारी फसल अप्रैल के पहले सप्ताह से कटनी शुरु हो जाती है इसका वजन एक किलोग्राम से डेढ दो किलोग्राम तक की हो जाता है..शुरुआत में हमे थोक में 24 से 30 रुपये किलोग्राम बेचते हैं.इसकी तुडाई एक खेत में 4 से 5 बार की जाती है. 1 सप्ताह से 15 दिनों में फसल तैयार होकर बाजार में पहुंच जाती है.एक एकड़ में 150 क्विंटल से 250 क्विंटल तरबूजे का उत्पादन हो जाता है यानी 5 लाख प्रति एकड़ के हिसाब माल बिक जाता और दो से ढाई लाख रुपये की कमाई हो जाती है.खरबूजे की खेती: कम पैसे में मोटी कमाई करने का मौका

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#सूने_होते_गांव_घर #पैकेजकिसी दिन सुबह उठकर एक बार इसका जायज़ा लीजियेगा कि कितने घरों में अगली पीढ़ी के बच्चे रह रहे हैं? कितने बाहर निकलकर जयपुर, बीकानेर, नोएडा, गुड़गांव, पूना, बेंगलुरु, चंडीगढ़,बॉम्बे, कलकत्ता, मद्रास, हैदराबाद, बड़ौदा जैसे बड़े शहरों में जाकर बस गये हैं? कल आप एक बार उन गली मोहल्लों से पैदल निकलिएगा जहां से आप बचपन में स्कूल जाते समय या दोस्तों के संग मस्ती करते हुए निकलते थे। तिरछी नज़रों से झांकिए.. हर घर की ओर आपको एक चुपचाप सी सुनसानियत मिलेगी, न कोई आवाज़, न बच्चों का शोर, बस किसी किसी घर के बाहर या खिड़की में आते जाते लोगों को ताकते बूढ़े जरूर मिल जायेंगे।आखिर इन सूने होते घरों और खाली होते मुहल्लों के कारण क्या हैं ?भौतिकवादी युग में हर व्यक्ति चाहता है कि उसके एक बच्चा और ज्यादा से ज्यादा दो बच्चे हों और बेहतर से बेहतर पढ़ें लिखें। उनको लगता है या फिर दूसरे लोग उसको ऐसा महसूस कराने लगते हैं कि छोटे शहर या कस्बे में पढ़ने से उनके बच्चे का कैरियर खराब हो जायेगा या फिर बच्चा बिगड़ जायेगा। बस यहीं से बच्चे निकल जाते हैं बड़े शहरों के होस्टलों में। अब भले ही जयपुर कोटा सीकर दिल्ली और उस छोटे शहर में उसी क्लास का सिलेबस और किताबें वही हों मगर मानसिक दबाव सा आ जाता है बड़े शहर में पढ़ने भेजने का। हालांकि इतना बाहर भेजने पर भी मुश्किल से 1% बच्चे IIT, PMT या CLAT वगैरह में निकाल पाते हैं...। फिर वही मां बाप बाकी बच्चों का पेमेंट सीट पर इंजीनियरिंग, मेडिकल या फिर बिज़नेस मैनेजमेंट में दाखिला कराते हैं। 4 साल बाहर पढ़ते पढ़ते बच्चे बड़े शहरों के माहौल में रच बस जाते हैं। फिर वहीं नौकरी ढूंढ लेते हैं । सहपाठियों से शादी भी कर लेते हैं।आपको तो शादी के लिए हां करना ही है ,अपनी इज्जत बचानी है तो, अन्यथा शादी वह करेंगे ही अपने इच्छित साथी से।अब त्यौहारों पर घर आते हैं माँ बाप के पास सिर्फ रस्म अदायगी हेतु।माँ बाप भी सभी को अपने बच्चों के बारे में गर्व से बताते हैं । दो तीन साल तक उनके पैकेज के बारे में बताते हैं। एक साल, दो साल, कुछ साल बीत गये । मां बाप बूढ़े हो रहे हैं । बच्चों ने लोन लेकर बड़े शहरों में फ्लैट ले लिये हैं। अब अपना फ्लैट है तो त्योहारों पर भी जाना बंद।अब तो कोई जरूरी शादी ब्याह में ही आते जाते हैं। अब शादी ब्याह तो बेंकट हाल में होते हैं तो मुहल्ले में और घर जाने की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है। होटल में ही रह लेते हैं। हाँ शादी ब्याह में कोई मुहल्ले वाला पूछ भी ले कि भाई अब कम आते जाते हो तो छोटे शहर, छोटे माहौल और बच्चों की पढ़ाई का उलाहना देकर बोल देते हैं कि अब यहां रखा ही क्या है? खैर, बेटे बहुओं के साथ फ्लैट में शहर में रहने लगे हैं । अब फ्लैट में तो इतनी जगह होती नहीं कि बूढ़े खांसते बीमार माँ बाप को साथ में रखा जाये। बेचारे पड़े रहते हैं अपने बनाये या पैतृक मकानों में। कोई बच्चा #बागवान_पिक्चर की तरह मां बाप को आधा - आधा रखने को भी तैयार नहीं।अब साहब, घर खाली खाली, मकान कोठी खाली खाली और धीरे धीरे मुहल्ला खाली हो रहा है। अब ऐसे में छोटे शहरों में कुकुरमुत्तों की तरह उग आये #प्रॉपर्टी_डीलरों की गिद्ध जैसी निगाह इन खाली होते मकानों पर पड़ती है । वो इन बच्चों को घुमा फिरा कर उनके मकान के रेट समझाने शुरू करते हैं । उनको गणित समझाते हैं कि कैसे घर बेचकर फ्लैट का लोन खत्म किया जा सकता है । एक प्लाट भी लिया जा सकता है। साथ ही ये किसी बड़े लाला को इन खाली होते मकानों में मार्केट और गोदामों का सुनहरा भविष्य दिखाने लगते हैं। बाबू जी और अम्मा जी को भी बेटे बहू के साथ बड़े शहर में रहकर आराम से मज़ा लेने के सपने दिखाकर मकान बेचने को तैयार कर लेते हैं। आप स्वयं खुद अपने ऐसे पड़ोसी के मकान पर नज़र रखते हैं । खरीद कर डाल देते हैं कि कब मार्केट बनाएंगे या गोदाम, जबकि आपका खुद का बेटा छोड़कर पूना की IT कंपनी में काम कर रहा है इसलिए आप खुद भी इसमें नहीं बस पायेंगे।हर दूसरा घर, हर तीसरा परिवार सभी के बच्चे बाहर निकल गये हैं। वही बड़े शहर में मकान ले लिया है, बच्चे पढ़ रहे हैं,अब वो वापस नहीं आयेंगे। छोटे शहर में रखा ही क्या है । इंग्लिश मीडियम स्कूल नहीं है, हॉबी क्लासेज नहीं है, IIT/PMT की कोचिंग नहीं है, मॉल नहीं है, माहौल नहीं है, कुछ नहीं है साहब, आखिर इनके बिना जीवन कैसे चलेगा?भाईसाब ये खाली होते मकान, ये सूने होते मुहल्ले, इन्हें सिर्फ प्रोपेर्टी की नज़र से मत देखिए, बल्कि जीवन की खोती जीवंतता की नज़र से देखिए। आप पड़ोसी विहीन हो रहे हैं। आप वीरान हो रहे हैं।आज गांव छोटे शहर सूने हो चुके हैं बड़े शहर कराह रहे हैं |सूने घर आज भी राह देखते हैं.. वो बंद दरवाजे बुलाते हैं पर कोई नहीं आता...

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#संगरिया 😜#दौडते_दौडते_भ्रष्टाचार 😜MLA कोटे से खेल सामान की खरीद में भ्रष्टाचार: नौकर-करीबी लोगों को करोड़ों का ठेका; वित्तीय मंजूरी के बाद रजिस्टर्ड कराई फर्मबहरोड़ विधायक बलजीत यादव के कोटे से सरकारी स्कूलों के लिए स्पोर्ट्स सामान की खरीद में भ्रष्टाचार की बात सामने आ रही है। खरीद वाली फर्मों और सामानों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं । करीब तीन करोड़ रुपए से अधिक के ठेके ऐसी फर्मों को दिए गए, जो हाथों-हाथ या कुछ समय पहले ही रजिस्टर्ड कराई गई थीं।जिन फर्मों से सामान खरीद बताया गया है, उनमें से किसी ने भी जीएसटी जमा नहीं कराया है। जिनके नाम से फर्म रजिस्टर्ड हैं, वे विधायक के नजदीकी हैं। इनमें से दो फर्मों तो सरकार की ओर से वित्तीय मंजूरी जारी किए जाने के बाद रजिस्टर्ड कराई गईं।फर्मों का ऐसे काम से कोई लेना देना नहीं है। भास्कर ने ग्राउंड पर जाकर देखा तो फर्म का जहां ऑफिस बताया गया है, वहां पर निवास पाया और खेल के नाम का बहरोड़ विधायक बलजीत यादव के कोटे से सरकारी स्कूल के लिए खरीदा गया खेल सामान।जिन चार फर्मों को ठेका दिया, उनमें से किसी ने भी जमा नहीं कराया जीएसटी विधायक द्वारा एक बार 19 स्कूलों को 9-9 लाख रुपए की सिफारिश की गई। राज्य सरकार की ओर से इसकी वित्तीय स्वीकृति 16 फरवरी 2022 को जारी की गई। वित्तीय स्वीकृति के बाद 'शर्मा स्पोर्ट्स' नाम की फर्म का 6 जून 22 को रजिस्ट्रेशन हुआ। इन 19 स्कूलों का टेंडर 18 जुलाई को इसी कंपनी को दे दिया गया।टेंडर की यह राशि लगभग एक करोड़ 71 लाख रुपए है। जिस शर्मा स्पोर्ट्स को सबसे बड़ा ठेका मिला, उसका मालिक नवीन कुमार है। वह जयपुर में विधायक के शोरूम में काम करता है। कंपनी के रजिस्ट्रेशन में जो पता दिया गया है, भास्कर पहुंचा तो वहां निवास स्थान मिला। खेल का बिजनेस होने की भी किसी तरह की कोई जानकारी नहीं मिली।अनुशंसा की गई। इसकी स्वीकृति 5 मई 2021 को जारी की गई। ठेका 'बालाजी कंप्लीट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड' को दिया गया, जिसका रजिस्ट्रेशन 17 मई को हुआ।बीरनवास, कायसा, काठूवास और डूमडोली को 9-9 लाख रुपए की स्वीकृति 5 अगस्त 2021 को जारी की गई। ठेका देने के लिए एक से अधिक फर्मों का होना आवश्यक है, इसलिए 28 सितंबर 21 को 'सूर्या स्पोर्ट्स फर्म' का रजिस्ट्रेशन करवाया गया और ठेका 3 दिसंबर को 'बालाजी कंपलीट सॉल्यूशन प्रा.लि.' को दे दिया।रायसराना, माजरीकलां महतावास, गिगलाना, तलवाना रोडवाल, रैवाना, खूंदरोठ स्कूल को 9-9 लाख की अनुशंसा के बाद वित्तीय स्वीकति 10 सितंबर2021 को मिली। इनमें से 5 स्कूलों (रायसराना, माजरीकलां, महतावास, गिगलाना, तलवाना) का टेंडर लगाया। इसमें 3 फर्म (बालाजी, सूर्या, राजपूत ) शामिल हुईं। इसमें 4 जनवरी 22 को बैट का टेंडर सूर्या को और बाकी बालाजी को दिया गया।रोडवाल, रैवाना, खूंदरोठ का टेंडर अलग से लगाया गया। उसमें भी ये तीनों फर्म ही शामिल हुईं। इसमें सारे सामान का टेंडर 18 जनवरी 22 को राजपूत फर्म को दे दिया गया, जिसका रजिस्ट्रेशन 9 अक्टूबर 2021 को हुआ।कुल खरीद लगभग 3 करोड़ : एक स्कूल को 9 लाख का सामान, 1 बैट की कीमत 15,600 रुपएकुल 32 स्कूलों को सामान दे दिया गया है, शेष को देना है। जो बैट दिया गया है, उसकी प्रत्येक की कीमत 15 हजार 600 रुपए तय की गई, ज्यादातर स्कूलों को 50-50 बैट दिए गए हैं। जो बैट स्कूलों में पहुंचा, उसकी कीमत पर सीधा सवाल है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी जांच की जाएगी तो मामला सामने आ जाएगा। दावा है कि बैट सनी गोल्ड इंग्लिश विलो कंपनी का है। जबकि भास्कर ने कई स्कूलों में देखा तो पाया कि बैट पर न तो एमआरपी है और न ही कंपनी की कोई ब्राडिंग, जबकि कंपनी इसके बिना सेल ही नहीं करती। अन्य सामान की कीमतें भी मुद्दे, जिनकी जांच हो तो खुल सकता है मामला1. वित्तीय स्वीकृति के बाद ठेके के लिए इंतजार क्यों किया गया?2. जिन फर्मों को ठेका दिया गया, उनके मालिक कौन हैं?3. जिस कंपनी का बैट 15,600 रुपए का बताया, उस कंपनी से जांच की जाए, इस फर्म ने माल कब खरीदा, उसके भुगतान व जीएसटी के भुगतान की जांच की जाए भुगतान के दो दिन बाद पैसा विधायक के रिश्तेदार के खाते में - संजय यादवराजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य संजय यादव ने कहा कि मुझे इस मामले की जानकारी मिली तो मैंने एसीबी जयपुर व लोकायुक्त को पूरी जानकारी दी। इसकी....

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